कैसे मिलते हैं IPO शेयर? जानिए अलॉटमेंट प्रक्रिया का राज़!

मार्केट में निवेश करने के लिए आईपीओ (IPO) का जोरदार एक्शन हमेशा से ही निवेशकों का ध्यान आकर्षित करता रहा है। यह एक अद्वितीय तरीके से कंपनियों के लिए नए पूंजी का स्रोत होता है और निवेशकों को नई मौके प्राप्त करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। जब भी कोई निवेशक आईपीओ में पैसा लगाता है, तो आमतौर पर उसके मन में एक सवाल होता है – “शेयर्स का अलॉटमेंट कैसे होता है?”

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IPO अलॉटमेंट प्रक्रिया का मतलब

जब कोई कंपनी अपना IPO लांच करती है, तो इसमें रुचि दिखाने वाले निवेशकों को शेयर्स की प्राप्ति के लिए अवसर प्रदान किया जाता है। इस IPO के बंद होने के बाद, शेयर्स का आलॉटमेंट कंपनी द्वारा किया जाता है। यहाँ, निवेशकों की कैटेगरी के हिसाब से इन्वेस्ट करने का अवसर मिलता है।

अलॉटमेंट का तरीका डिमांड और ऑफर के आधार पर तय किया जाता है। अगर कोई IPO ज्यादा सब्सक्राइब होती है, तो सभी निवेशकों को शेयर्स मिलना संभव नहीं होता।

IPO अलॉटमेंट के नियम

शेयरों की संख्या: यहाँ, सबसे पहले देखा जाता है कि कितने शेयर्स हैं और किस कैटेगरी में कितने बिड्स आए हैं। इसके बाद अलॉटमेंट के नियम तय किए जाते हैं।

ऐप्लीकेशन में गलतियाँ: यदि निवेशक अपने ऐप्लीकेशन में कोई गलती करता है, जैसे कि गलत डीमैट अकाउंट नंबर या एक ही PAN से कई ऐप्लीकेशन, तो उसका ऐप्लीकेशन खारिज किया जा सकता है।

कट-ऑफ प्राइस: यह भी महत्वपूर्ण होता है कि किसी IPO में कट-ऑफ प्राइस तक या उससे ऊपर के ऐप्लीकेशन को कैसे विचार किया जाता है।

ओवरसब्सक्रिप्शन: यदि किसी कैटेगरी में ओवरसब्सक्रिप्शन होता है, तो उसे दूसरी कैटेगरी से एडजस्ट किया जाता है। लेकिन QIB कैटेगरी में यह अंडरसब्सक्रिप्शन का तरीका नहीं होता।

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IPO अलॉटमेंट का तरीका

इन्वेस्टर की कैटगरी: निवेशकों की कैटगरी और सब्सक्रिप्शन लेवल पर आईपीओ का अलॉटमेंट निर्भर करता है। अगर किसी कैटेगरी में सब्सक्रिप्शन कम हुआ है, तो फुल अलॉटमेंट हो सकता है।

ओवरसब्सक्राइब्ड IPO: अगर आईपीओ किसी एक कैटेगरी में ओवरसब्सक्राइब्ड है और किसी दूसरी में अंडरसब्सक्राइब्ड है, तो अंडरसब्सक्राइब्ड वालों को अलॉटमेंट मिल सकता है।

लॉटरी सिस्टम: अगर ओवरसब्सक्रिप्शन होती है, तो कंपनी लॉटरी सिस्टम या निवेशक की कैटगरी के अनुपात के आधार पर शेयर एलोकेट करती है।

इस तरह, IPO अलॉटमेंट की प्रक्रिया निवेशकों के लिए स्पष्ट रूप से निर्धारित होती है। यह एक समझने और निवेश करने के लिए महत्वपूर्ण होता है कि शेयर्स का अलॉटमेंट किस प्रकार से होता है।

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